Greenaffair

We are one-stop solution for Organic farming.

हम क्या करते हैं?

हम मिट्टी को सेहतमंद बनाते हैं और छोटे जीवों का प्राकृतिक संतुलन वापस लाते हैं।

ग्रीनअफेयर में, हम पर्यावरण के साथ अपने संबंध को बदलने के लिए समर्पित हैं। हमारा मुख्य उद्देश्य मिट्टी की सेहत और उर्वरता को बेहतर बनाना है, ताकि किसान पोषक तत्वों से भरपूर ऑर्गेनिक खाद्य उत्पाद उगा सकें। हम उन्नत मिट्टी विज्ञान और माइक्रोबायोलॉजी तकनीकों का उपयोग करके हर खेत की मिट्टी के अनोखे गुणों का विश्लेषण करते हैं। इस जानकारी के आधार पर, हम मिट्टी की ताकत और फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए खास समाधान तैयार करते हैं।

हम जैविक खेती करने वाले किसानों के लिए बाजार तैयार कर रहे है

हमारे प्रीमियम जैविक उत्पादों का ऑर्डर करें।

“हमारे अभिनव मार्केटप्लेस से जुड़ें, जो जैविक और पुनरुत्पादक खेती के लिए समर्पित है— ग्रीनअफेयर में, हम टिकाऊ कृषि को सशक्त बनाते हैं और एक ऐसा मंच प्रदान करते हैं, जहाँ आप खेतों से सीधे पोषक तत्वों से भरपूर, रसायन-मुक्त उत्पाद प्राप्त कर सकते हैं। पर्यावरण संरक्षण और समुदाय के समर्थन के प्रति हमारी प्रतिबद्धता आपको एक ऐसे खाद्य तंत्र में भागीदार बनाती है जो स्वास्थ्य, पारिस्थितिकी और किसानों के कल्याण को महत्व देता है। हमारे साथ जुड़ें और जैविक खेती के परिदृश्य को एक कदम में बदलें।”

ऑर्गेनिक सर्टिफिकेट कैसे बनवाएं?

हम आपकी जमीन को ऑर्गेनिक बनाने और सर्टिफिकेशन दिलाने में पूरी मदद करते हैं। हमारी सेवा इस प्रक्रिया को आसान और प्रभावी बनाती है।

हमारी ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन सेवा

हम आपकी जमीन को ऑर्गेनिक मानकों के अनुरूप बनाने और सर्टिफिकेशन प्राप्त करने में पूरी मदद करते हैं। हमारी सेवाएं निम्नलिखित हैं:

1. मानकों पर मार्गदर्शन

हम आपको NPOP (नेशनल प्रोग्राम फॉर ऑर्गेनिक प्रोडक्शन) की आवश्यकताओं को समझने में मदद करते हैं और आपके क्षेत्र व खेती के तरीकों के अनुसार कस्टम सुझाव देते हैं।

2. जमीन का मूल्यांकन

हम आपकी जमीन की स्थिति का मूल्यांकन करते हैं और ऑर्गेनिक मानकों के अनुरूप बदलाव, मिट्टी सुधार और प्राकृतिक कीट प्रबंधन के लिए जरूरी कदम बताते हैं।

3. डॉक्यूमेंटेशन में सहायता

हम जमीन के इतिहास, खेती के तरीके और निरीक्षण के लिए अनुपालन रिकॉर्ड तैयार करने में मदद करते हैं।

5. परिवर्तन प्रबंधन

हम ऑर्गेनिक खेती के लिए 2-3 वर्षों की चरण-दर-चरण योजना बनाते हैं, जिसमें इनपुट्स, फसल चक्र और मिट्टी सुधार की सलाह शामिल होती है।

6. इंस्पेक्शन की तैयारी

हम निरीक्षण प्रक्रिया के लिए आपका मार्गदर्शन करते हैं और प्री-इंस्पेक्शन समीक्षा कराते हैं ताकि सभी मानकों का पालन सुनिश्चित हो सके।

7. पोस्ट-सर्टिफिकेशन सहायता

हम सर्टिफिकेशन के वार्षिक नवीनीकरण में सहायता करते हैं और ऑर्गेनिक खेती को और बेहतर बनाने के लिए नियमित सलाह देते हैं।

हम क्यों सबसे बेहतर हैं?

  • ऑर्गेनिक खेती का अनुभव: मिट्टी की देखभाल, पुनर्जनन कृषि और ऑर्गेनिक तरीकों में हमारा गहरा अनुभव।
  • आसान प्रक्रिया: हम आपके कागज़ात और प्रक्रिया का सारा झंझट संभालते हैं।
  • व्यक्तिगत मदद: आपकी ज़मीन और जरूरतों के हिसाब से समाधान।
  • पूरा सपोर्ट: मिट्टी की जांच से लेकर कीट प्रबंधन तक हर कदम पर सहयोग।

आज ही शुरुआत करें!

हमसे संपर्क करें और अपनी खेती को ऑर्गेनिक बनाने का पहला कदम उठाएं।
अभी कॉल करें और ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू करें!

मिट्टी परीक्षण

मिट्टी का नमूना कैसे एकत्र करें?

सही तरीके से मृदा परीक्षण के लिए इन आसान चरणों का पालन करें

  • 3 फीट x 3 फीट का गड्ढा खोदें
  • अपनी ज़मीन के एक  हिस्से को चुनें और वहां 3 फीट चौड़ा और 3 फीट गहरा गड्ढा खोदें।
  • गड्ढा खोदते वक्त मृदा की बनावट या रंग में कोई फर्क दिखे तो उसे ध्यान से देखें।
  • गड्ढे की नज़दीकी तस्वीरें खींचें
  • गड्ढे में दिखने वाली मृदा की परतों की साफ और करीब से तस्वीरें लें। ये तस्वीरें मृदा की स्थिति को अच्छे से दिखाएं।
  • तस्वीरें साफ और अच्छी रोशनी में होनी चाहिए, ताकि हम मृदा की परतों को बेहतर तरीके से समझ सकें।
  • ज़मीन के 4-5 अलग-अलग हिस्सों से मृदा के नमूने लें
  • ज़मीन के 4-5 अलग-अलग स्थानों से नमूने लें ताकि पूरी ज़मीन का सही विश्लेषण हो सके।
  • हर जगह से 3 अलग गहराइयों पर नमूने लें:
  • ऊपरी परत (0-6 इंच)
  • मध्य परत (6-12 इंच)
  • गहरी परत (12-18 इंच)
  • हर गहराई से लगभग 150-200 ग्राम मृदा लें। ध्यान रखें कि नमूने ताज़ी खोदी गई मृदा से लिए जाएं।
  • नमूनों को मिलाएं और पैक करें
  • हर स्थान के अलग-अलग गहराई के नमूने को मिलाकर एक मिश्रित नमूना बनाएं।
  • 150-200 ग्राम मिश्रित मृदा एक साफ, लेबल किए हुए कंटेनर या प्लास्टिक बैग में रखें। कंटेनर को अच्छी तरह से बंद करें ताकि मृदा खराब न हो।
  • नमूनों को हमें भेजें
  • हर कंटेनर पर साफ-साफ लेबल लगाएं, जिसमें जगह, गहराई, और तारीख की जानकारी हो।
  • अपने संपर्क विवरण और ज़मीन की कोई खास जानकारी, जैसे फसल का इतिहास या जल निकासी की स्थिति, भी भेजें।
  • हमारे बताए गए पैकेजिंग और शिपिंग के तरीके से नमूनों को हमारी लैब में भेज दें।
  • इन सरल चरणों का पालन करके मृदा नमूने लें और हमें भेजें, ताकि हम आपकी मृदा का सही परीक्षण कर सकें और जैविक खेती के लिए बढ़िया सुझाव दे सकें।

=प्रति एकड़ कितने स्थान से नमूना लेना अनिवार्य है?

मिट्टी के जैविक गुणों और सूक्ष्मजीवों की विविधता को समझने के लिए प्रति एकड़ 5-7 स्थानों से नमूना लेना चाहिए। इसके अतिरिक्त, खेत के केंद्र में 3×3 फीट का एक गड्ढा खुदाई करना आवश्यक है। यह गड्ढा मिट्टी की परतों की जैविक प्रोफाइलिंग और सूक्ष्मजीव जनसंख्या का आकलन करने के लिए उपयोगी होगा। गड्ढे से मिट्टी के नमूनों के साथ मिट्टी की परतों की तस्वीरें लें, ताकि मिट्टी के खाद्य जाल में जड़, कवक, और बैक्टीरिया की भूमिका का सही विश्लेषण हो सके।

=यदि प्लॉट का साइज 1 से लेकर 10 हेक्टेयर तक है तो कितने स्थान से नमूना लेना चाहिए?

1-10 हेक्टेयर के प्लॉट के लिए 10-15 स्थानों से नमूना लेना चाहिए। इन स्थानों को खेत के विविध हिस्सों से चुना जाना चाहिए ताकि जैविक गतिविधियों की पूरी तस्वीर मिल सके। नमूने लेने के लिए ज़िगज़ैग पद्धति अपनाएं और इन नमूनों को खेत के केंद्र में बने 3×3 फीट गड्ढे से प्राप्त मिट्टी के विश्लेषण के साथ मिलाएं।

=3 फीट के गड्ढे से विभिन्न गहराई से नमूना लेने की विधि

3×3 फीट गड्ढे से निम्नलिखित गहराई से नमूने लें:

• 0-6 इंच: यह सतही परत है, जहां जैविक गतिविधि और सूक्ष्मजीवों की संख्या सबसे अधिक होती है।

• 6-12 इंच: इस परत में जड़ों और सूक्ष्मजीवों के बीच मुख्य क्रियाएं होती हैं।

• 12-18 इंच: यह परत जल-धारण क्षमता और गहरे कवक नेटवर्क के लिए महत्वपूर्ण है।

• 18-36 इंच: यह परत केवल गहरे जड़ वाली फसलों (जैसे फलदार पेड़) के लिए प्रासंगिक है। इसे तभी नमूने में शामिल करें जब गहरी जड़ों की फसल उगाई जा रही हो।

इन परतों से नमूने अलग-अलग रखें ताकि हर परत की जैविक और भौतिक विशेषताओं का सही विश्लेषण किया जा सके।

=कितनी मात्रा में नमूना लेना चाहिए?

प्रत्येक स्थान और गहराई से 100-200 ग्राम मिट्टी लें। गड्ढे के प्रत्येक गहराई से भी इतना ही नमूना लें। इन नमूनों को साफ और लेबल किए गए बैग में रखें।

=क्या सीरियल क्रॉप्स, वेजिटेबल्स और हॉर्टिकल्चर के लिए नमूने अलग-अलग लेने चाहिए?

हां, इन तीनों के लिए अलग-अलग नमूने लेने चाहिए, क्योंकि इनकी जैविक आवश्यकताएं अलग-अलग होती हैं:

• सीरियल फसलों के लिए: बैक्टीरिया-प्रधान मिट्टी महत्वपूर्ण है।

• सब्जियों के लिए: बैक्टीरिया और कवक का संतुलन आवश्यक है।

• बागवानी फसलों के लिए: कवक-प्रधान मिट्टी उपयुक्त है।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि हर फसल को उसकी आवश्यकताओं के अनुसार पोषण और जैविक सहायता मिले, उनके नमूने अलग-अलग रखें।

मिट्टी प्रोफाइलिंग और सूक्ष्मजीव परीक्षण का महत्व:

• गड्ढे के प्रोफाइलिंग से मिट्टी की संरचना (रेत, गाद, चिकनी मिट्टी), नमी, और जैविक गतिविधियों को समझा जा सकता है।

• गड्ढे की तस्वीरें लें ताकि परतों की भिन्नता और उनके जैविक गुणों का विश्लेषण किया जा सके।

• सूक्ष्मजीवों की जनसंख्या का परीक्षण मिट्टी की सेहत और खाद्य जाल के कार्य को समझने के लिए अनिवार्य है।

यह प्रक्रिया मिट्टी के प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने और उसे पुनर्जीवित करने में मदद करेगी।

मिट्टी के नमूनाकरण के लिए निर्देश (Soil Sampling Instructions)

1. 1 से 4 हेक्टेयर तक का क्षेत्र:

• 4 हेक्टेयर तक के क्षेत्र के लिए एक सामूहिक नमूना पर्याप्त है, बशर्ते मिट्टी का प्रकार और फसल की स्थिति समान हो।

• सामूहिक नमूने के लिए खेत के 5-7 स्थानों से मिट्टी लेकर मिश्रित नमूना तैयार करें।

• यदि मिट्टी के प्रकार में अंतर है (जैसे ऊंचाई, ढलान, जलभराव क्षेत्र), तो उन हिस्सों से अलग-अलग नमूने लें।

2. 4 हेक्टेयर से अधिक के लिए:

• प्रत्येक 4 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए अलग-अलग नमूने लेना आवश्यक है।

• प्रत्येक नमूने को अलग-अलग लेबल करें, जिसमें क्षेत्र का नाम, स्थान, और गहराई की जानकारी शामिल हो।

• यह सुनिश्चित करेगा कि विश्लेषण सटीक हो और क्षेत्र विशेष की मिट्टी की जरूरतों के अनुसार सिफारिशें की जा सकें।

लेबलिंग का महत्व:

        • हर नमूने पर सही जानकारी जैसे खेत का नाम, तारीख, गहराई (0-6, 6-12, 12-18 इंच), और फसल का प्रकार लिखें।

• अलग-अलग नमूनों की पहचान से सुधारात्मक कार्य जैसे जैविक खाद या सूक्ष्मजीवों के प्रयोग में आसानी होती है।

*विशेष सुझाव:

मिट्टी के नमूनों को इकट्ठा करने से पहले खेत को बांट लें और विविधता वाले हिस्सों की पहचान करें। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करेगी कि 4 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सही तरीके से मिट्टी की प्रोफाइलिंग हो सके।

मिट्टी के नमूने कैसे भेजें?

मिट्टी का नमूना कैसे एकत्र करें?

मिट्टी के नमूने कैसे भेजें?

  1. नमूनों को लेबल करना:
    • प्रत्येक नमूने पर स्थान, गहराई, और संग्रह की तारीख जैसी जानकारी साफ़-साफ़ लिखें।
    • वाटरप्रूफ मार्कर का उपयोग करें ताकि लेबल साफ और धुंधला न हो।
  1. नमूनों की पैकेजिंग:
    • लेबल किए हुए मिट्टी के नमूनों को साफ, एयरटाइट प्लास्टिक बैग या कंटेनरों में रखें, ताकि कोई संदूषण या नमी का नुकसान न हो।
    • बैग या कंटेनर को अच्छी तरह से सील करें, ताकि ट्रांसपोर्ट के दौरान कोई रिसाव न हो।
  1. नमूनों को भेजना:
    • आप नमूनों को हमारे निर्दिष्ट स्थान पर छोड़ सकते हैं या किसी भरोसेमंद कूरियर सेवा के माध्यम से सुरक्षित रूप से भेज सकते हैं।
    • यदि आप नमूने भेज रहे हैं, तो उन्हें एक मजबूत बॉक्स में पैक करें और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए cushioning सामग्री का उपयोग करें।

इन निर्देशों का पालन करने से यह सुनिश्चित होगा कि आपके मृदा नमूने सही ढंग से लेबल, संरक्षित और हमारी प्रयोगशाला में सटीक विश्लेषण के लिए तैयार हैं।

मृदा नमूना कैसे एकत्र करें?

वर्मी कंपोस्ट

भारतीय खेती के लिए एक सस्ता और असरदार तरीका

  • वर्मी कंपोस्टिंग एक आसान और प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें केंचुए जैविक कचरे (जैसे खेत का अपशिष्ट, रसोई का कचरा आदि) को पोषण से भरपूर खाद में बदलते हैं। यह तरीका खेत की मिट्टी को मजबूत बनाता है, पैदावार बढ़ाता है, और केमिकल खादों की ज़रूरत कम करता है। भारत में वर्मी कंपोस्टिंग न सिर्फ कचरा प्रबंधन का तरीका है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और खेती को फायदे में बदलने का एक बेहतरीन तरीका भी है।

वर्मी कंपोस्टिंग

वर्मी कंपोस्टिंग के फायदे

  • मिट्टी की सेहत में सुधार: वर्मी कंपोस्ट में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम और अच्छे बैक्टीरिया होते हैं, जो मिट्टी को ताकतवर और उपजाऊ बनाते हैं।
  • खर्च में बचत: वर्मी कंपोस्ट सस्ता है और आपके खेत को केमिकल खादों की ज़रूरत से बचा सकता है।
  • कचरे का सही उपयोग: खेत का जैविक कचरा और रसोई का कचरा खाद में बदल जाता है, जिससे पर्यावरण भी साफ रहता है।
  • फसल की पैदावार बढ़ाना: वर्मी कंपोस्ट पौधों की जड़ों को पोषण देता है, जिससे फसल की पैदावार में सुधार होता है।

वर्मी कंपोस्टिंग सीखें और शुरू करें

ग्रीनअफेयर आपकी मदद के लिए तैयार है। हम किसानों और व्यवसायियों को वर्मी कंपोस्टिंग की शुरुआत से सफलता तक हर कदम पर सहयोग करते हैं।

हमारी सेवाएं

    1. परामर्श: सही जगह, केंचुए और कचरा प्रबंधन का मार्गदर्शन।
    2. प्रशिक्षण: प्रक्रिया, तापमान और नमी प्रबंधन के टिप्स।
    3. यूनिट सेटअप: आपकी जरूरत के अनुसार यूनिट तैयार करना।
    4. व्यवसाय सहयोग: मार्केटिंग प्लान और नियमित समर्थन।

हम क्यों खास हैं?

  •  रेजेनरेटिव एग्रीकल्चर और ऑर्गेनिक खेती  में विशेषज्ञता: हम मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और जैविक खेती में सालों से काम कर रहे हैं।
  • आपकी जरूरतों के हिसाब से समाधान: हर खेत और व्यवसाय अलग है। हम आपके लिए खास समाधान तैयार करते हैं।
  • प्राकृतिक और स्थायी खेती पर जोर: हमारी तकनीकें पर्यावरण के अनुकूल हैं और लंबे समय तक फायदा देती हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. वर्मी कम्पोस्टिंग शुरू करने में कितना खर्च आता है?
खर्च आपके ऑपरेशन के पैमाने पर निर्भर करता है। एक छोटा यूनिट मामूली निवेश के साथ शुरू हो सकता है, जबकि बड़े पैमाने पर सिस्टम के लिए अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता होती है। हम आपके लिए एक लागत-प्रभावी योजना तैयार करेंगे।

2. वर्मी कम्पोस्टिंग में कितना समय लगता है?
औसतन, उच्च गुणवत्ता वाला कम्पोस्ट बनाने में 45-60 दिन लगते हैं, जो जैविक सामग्री और पर्यावरणीय परिस्थितियों पर निर्भर करता है।

3. क्या वर्मी कम्पोस्टिंग भारतीय जलवायु में काम करता है?
बिल्कुल! नमी और तापमान के उचित प्रबंधन के साथ, वर्मी कम्पोस्टिंग भारत की विविध जलवायु परिस्थितियों में सफलतापूर्वक काम करता है।

आज ही शुरुआत करें!

क्या आप अपने खेत के कचरे को पोषण में बदलने के लिए तैयार हैं? ग्रीनअफेयर से जुड़ें और वर्मी कंपोस्टिंग की शुरुआत करें।

व्हाट्सएप करें: +91 747-050-6281
ईमेल करेंinfo@greenaffair.in
वेबसाइट देखेंwww.greenaffair.in

Scroll to Top